आल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन का वार्षक अधिवेशननिजीकरण और निगमीकरण पर निर्णायक संघर्ष जरूरी : शिवगोपाल मिश्रानई दिल्ली 28 जुलाई । आँल इंडिया रेलवे मेंन्स फैडरेशन के तीन दिवसीय वार्षिक अधिवेशन के पहले दिन वर्किंग कमेटी की बैठक में सरकार की दोषपूर्ण नीतियों की आलोचना की गई । वर्किंग कमेटी ने आठ मसौदा प्रस्ताव पर चर्चा कर उसे अंतिम रूप दिया। बैठक में निजीकरण-निगमीकरण के खिलाफ निर्णायक संघर्ष की चर्चा के साथ ही यूनियन के मान्यता के चुनाव न कराने और एक्ट अप्रेंटिस की भर्ती के सवाल को बेवजह लंबा खींचने पर नाराजगी व्यक्त करने के साथ ही दो टूक फैसला लेने की बात की गई। बाद में महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया, जिसमें महिलाओं के बुनियादी जरूरतों पर गंभीरता से विमर्श किया गया।कोविड महामारी के चलते इस बार फैडरेशन ने इस वार्षिक अधिवेशन को वर्चुअल माध्यम से करने का फैसला किया। वर्किंग कमेटी बैठक की अध्यक्षता करते हुए फैडेरशन के अध्यक्ष डा. एन कन्हैया ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े किए और कहाकि ये समय एकजुटता और संगठन को जमीनी स्तर तक मजबूत करने का है। उन्होंने कहाकि नए श्रम कानून के जरिए फैडरेशन और यूनियन को कमजोर करने की साजिश की जा रही है, इस हालात से हमें निपटना होगा। डा. कन्हैया ने कहाकि जब चुनाव के लिए आचार संहिता पहले ही जारी की जा चुकी है, फिर इसमें फेरबदल करने का कोई सवाल पैदा नहीं होता, उन्होंने कहाकि कि मंत्रालय पर दबाव बनाना होगा कि हमारा चुनाव जल्दी और जारी आचार संहिता के आधार पर हो ।महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने तमाम विषयों पर विस्तार से चर्चा की और कहाकि सच ये है कि आज भारतीय रेल मुश्किल दौर में है। कर्मचारी हितों की जानबूझ कर अनदेखी की जा रही है। जब इन मुद्दों पर मंत्रालय में बात होती है तो आश्वस्त किया जाता है कि ये जायज मांग है, इस पर आदेश जारी कर दिया जाएगा, लेकिन ऐसा होता नहीं है। महामंत्री ने कहाकि निजीकरण और निगमीकरण के सवाल पर मंत्रालय को साफ कर दिया गया है कि फैडरेशन को ये मंजूर नहीं है, इस पर निर्णायक संघर्ष के लिए हम सब तैयार है। महामंत्री ने कहाकि अगर सरकार, रेलमंत्री और मंत्रालय के अफसर एआईआरएफ के संघर्ष को जानते है तो ऐसी हिमाकत कत्तई नहीं करेंगे। पुरानी पेंशन की बहाली, एक्ट अप्रेंटिस की भर्ती, रिक्त पदों नियुक्ति, ग्रेड पे 1800 को 1900 में और 4600 को 4800 में प्रोन्नत करने के मसले पर कई बार बात हो चुकी है, आश्वस्त भी किया गया कि इसे कर दिया जाएगा, लेकिन आज तक आदेश जारी नहीं किया। महामंत्री ने कहाकि मैं महसूस कर रहा हूं कि रेल मंत्रालय यूनियन के चुनाव के लिए सीक्रेट बैलेट को लेकर कत्तई गंभीर नहीं है।महामंत्री ने कहाकि पिछले दिनों मैने जोनवार यूथ संगठन की समीक्षा की और पाया हमारा यूथ संगठन बेहतर काम कर रहा है। कई जोन में शाखा स्तर तक यूथ कमेटी का गठन हो चुका है, कुछ जोन में अभी नहीं हुआ है, लेकिन काम चल रहा है। इसी तरह चार मीटिंग के जरिए महिला संगठन की भी समीक्षा की गई, जिसमें पाया गया कि महिलाओं का संगठन भी बेहतर तरीके से काम कर रही है। जिस जोन में मुझे लगता था कि यहां महिला संगठन ठीक नहीं है, वहां भी समीक्षा के दौरान बेहतर परिणाम मिले हैं। महामंत्री ने कहाकि आने वाला समय काफी चुनौतीपूर्ण है, लिहाजा हमें संगठन पर जोर देना होगा।फैडरेशन के कार्यकारी अध्यक्ष और मसौदा प्रस्ताव के चेयरमैन जे आर भोसले ने कहाकि वैसे तो ये वार्षिक अधिवेशन मुंबई में प्रस्तावित था, लेकिन कोरोना के चलते हम इसे नहीं कर पाए। उन्होंने कहाकि हम सभी ने हर मुद्दों को शामिल करते हुए आठ प्रस्ताव तैयार किए है। इस पर चर्चा के बाद अगर जरूरी हुआ तो जरूरी संशोधन कर लिया जाएगा। श्री भोसले पुष्पगुच्छ देकर महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा का स्वागत करते हुए कहाकि कोरोना के दौरान भी महामंत्री लगातार एआईआरएफ दफ्तर में रहे और कर्मचारी हितों की मांगो को लेकर संघर्ष करते रहे।यूथ कन्वीनर प्रीती सिंह ने कहाकि यूथ प्रोग्राम को एआईआरएफ की लीडरशिप से काफी प्रोत्साहन मिलता है, जिसकी वजह से यूथ को आर्गनाइज करने में कोई समस्या नहीं आती है। महिला चेयरपर्सन जया अग्रवाल ने कोरोना महामारी के दौरान महिलाओं द्वारा किए गए कार्यों की चर्चा की और कहाकि महिला संगठनों की समीक्षा के दौरान कई अहम मुद्दे सामने आए है, इन पर अमल भी शुरु हो गया है।वर्किंग कमेटी को मुख्य रूप से कोषाध्यक्ष शंकरराव, मुकेश माथुर, डा. ए एम डिक्रूज, आशीष विश्वास, पीजे शिंदे, एस एन पी श्रीवास्तव, के एल गुप्ता, अमित घोष, गौतम मुखर्जी, एस के त्यागी, राजा श्रीधर, आर डी यादव, चंपा वर्मा और बसंत चतुर्वेदी समेत तमाम अन्य लोगों ने संबोधित किया।दोपहर बाद महिला सेमीनार का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्यअतिथि डा. रंजना कुमारी ने कहाकि आज भारतीय रेल में लगभग 14 लाख रेलकर्मचारी है, लेकिन महिलाओं की संख्या महज 7 प्रतिशत है, इसे कैसे बढ़ाया जाए, इस पर गंभीरता से विचार करने की जरूरत है। आज जबकि कोई ऐसा काम नहीं है जो महिलाएं न कर रही हो, कठिन हालात में भी वो अपनी ड्यूटी कर रही है, फिर भी संख्या का कम होना कहीं से ठीक नहीं है। महिलाओं की वर्किंग कंडीशन को भी और सुधारने की जरूरत है। उन्होंने महिलाओं से सोशल मीडिया के अधिक से अधिक इस्तेमाल पर जोर दिया, लेकिन सावधानी बरतने को भी कहा।डा. कुमारी ने कहाकि अक्सर हम देखते हैं कि आठ मार्च को महिलाओं को स्टेशन की जिम्मेदारी सौंप दी जाती है, या फिर उनसे ट्रेन चलवाई जाती है, उन्होंने कहाकि अब ये रस्मी काम न करके नियमित रूप से किए जाने की जरूरत है।महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहाकि हमारा फैडरेशन सौ साल का होने वाला है, पहले भारतीय रेल में महज प्वाइंट फाइव ( 0.5 ) प्रतिशत महिलाएं थी, अब ये संख्या सात फीसदी पर आई है, चूंकि फैडरेशन और एफलिएट यूनियन में महिलाओं को सम्मान मिलता है, इसलिए लगभग 6 प्रतिशत महिलाएं हमारे साथ है। हमने नियम बनाया है कि शाखा से लेकर केंद्र तक में महिलाओं की भागेदारी हो।महिला चेयरपर्सन जया अग्रवाल ने कार्यक्रम का संचालन किया, जबकि कन्वीनर प्रवीना सिंह ने सभी का स्वागत किया। इस सेमीनार को अध्यक्ष डा. एन कन्हैया, कार्यकारी अध्यक्ष जे आर भोसले, कोषाध्यक्ष शंकरराव, यूथ कन्वीनर प्रीति सिंह समेत तमाम अन्य लोगों ने भी संबोधित किया।
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