ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (एआईआरएफ) के आह्वान पर मंगलवार को देश भर से दिल्ली पहुंचे रेल ने संसद तक मार्च निकाला। वे पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने, सातवें वेतन आयोग की विसंगतियों को दूर करने की मांग के साथ रेलवे के कथित निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। देश भर से आए रेल कर्मी सुबह करीब 10 बजे स्टेट इंट्री रोड स्थित एआईआरएफ कार्यालय पर एकत्र हुए। इसके बाद वे पीवीआर प्लाजा से इनर सर्किल होते हुए जंतर-मंतर तक पहुंचे। रेल कर्मियों की रैली के चलते पूरे रास्ते यातायात व्यवस्था सुस्त रही। कई जगहों पर वाहन चालकों को रैली निकलने का इंतजार करना पड़ा। जंतर – मंतर पर रेल कर्मियों की एक सभा का आयोजन किया गया। सभा के बाद रेल कर्मियों की मांगों का एक मांग पत्र लोकसभा स्पीकर , प्रधानमंत्री , वित्त मंत्री व रेल मंत्री को भेजा गया। रेल कर्मियों की इस रैली को जंतर-मंतर पर संबोधित करते हुए एआईआरएफ के महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट से सभी केंद्रीय कर्मियों में बहुत नाराजगी है। इसी के चलते केंद्रीय कर्मियों ने 11 जुलाई को ज्वाइंट फोरम के बैनल तले हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया था। परंतु चार केंद्रीय मंत्रियों के आश्वासन के बाद 30 जून को हड़ताल को टाल दिया गया था। कई महीने के बाद भी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया है।
रेल कर्मचारियों ने नई पेंशन स्कीम की जगह पुरानी पेंशन स्कीम बहाल करने, न्यूनतम वेतन एवं फिटमेंट फार्मूला में सुधार करने, रेलवे में ठेकेदारी प्रथा एवं निजीकरण पर रोक लगाये जाने समेत विभिन्न मांगों को लेकर विरोध प्रदर्शन किया। विरोध प्रदर्शन में एआईआरएफ से जुड़े विभिन्न जोनों एवं उत्पादन इकाइयों से जुड़े कर्ममारी शामिल थे। संसद मार्ग पर पहुंचे रेल कर्मचारियों को संबोधित करते हुए एआईआरएफ के महामंत्री शिव गोपाल मिश्र ने कहा कि सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट से समूचे केन्द्रीय कर्मचारियों में बहुत नाराजगी है। चार केन्द्रीय मंत्रियों ने हमें आश्वासन दिया था कि वह हमारी समस्याओं का समाधान करेंगे पर 18 माह गुजर जाने के बाद भी हमारी उचित मांगों का निराकरण नहीं हुआ है। जीएसटी लागू होने के बाद कीमतें तेजी से बढ़ी हैं, जिससे कर्मचारियों के सामने आर्थिक समस्या खड़ी हो गई है।
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