आज प्रखर वक्ता एवं पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई के निधन की सूचना मिलते ही आल इंडिया रेलवेमेन्स फेडरेशन के महामंत्री श्री शिव गोपाल मिश्र जी खासे हतप्रभ एवं शोकाकुल दिखे।
श्रमिक आंदोलन से जुड़े होने के बावजूद भी श्री मिश्र का लखनऊ की सरजमीं से नाता होने के कारण उन्हें अनेकानेक बार स्वर्गीय अटल जी के सानिध्य का अवसर मिला। श्री मिश्र ने बताया कि लखनऊ के सांसद के रूप में, नेता प्रतिपक्ष के रूप में तथा प्रधानमंत्री के रूप में अनेकों बार अटल जी के साथ सहज एवं सुखद अवसर बिताने का अवसर मिला है।
महामंत्री श्री मिश्र ने अपनी स्मृति के पन्नों को पलटते हुए कहा कि मुझे अच्छी तरह याद है कि एक बार अटल जी जब सांसद थे तो लखनऊ स्टेशन से नई दिल्ली के लिए रवाना होने वाली प्रमुख रेलगाड़ी लखनऊ मेल छूटने से कुछ पहले ही सवार हुए तो मेरी मुलाकात हो

गयी। उन्होंने उस समय यह जाहिर किया कि मैं जल्दी में भोजन नहीं कर पाया हूँ अतः बहुत तेज भूख महसूस हो रही है। मैंने आनन-फानन में स्टेशन से एक दर्जन केले की व्यवस्था की, जिसमें से अटल जी ने 4-5 केले तो सहयात्रियों को वितरित कर दिए बाकी उन्होंने खाकर मुझे ढेरों आशीष से नवाज़ने का काम किया।
महामंत्री श्री शिव गोपाल मिश्र ने एक अन्य संस्मरण बताते हुए कहा कि नार्दर्न रेलवे मेंस यूनियन के तत्कालीन केंद्रीय अध्यक्ष तथा प्रख्यात श्रमिक नेता मजदूर मसीहा स्व. टी.एन. बाजपेई जी के निधन की ख़बर पाकर अटल जी (तत्कालीन नेता-प्रतिपक्ष, लोकसभा) लखनऊ के पानदरीबा स्थित उनके निवास पर पहुँच कर उनके परिवार को सांत्वना देने का काम किया था तथा स्वर्गीय टी. एन. बाजपेई जी को आजीवन श्रमिकों के लिए समर्पित नेता संबोधित कर उनके साथ अपने निकटता से संबंधित अनेक प्रसंगों की चर्चा की थी। यह बताना आवश्यक है कि जबकि टी.एन. बाजपेई जी खांटी समाजवादी विचारों के पोषक थे और अटल जी जनसंघी विचारधारा को मानने वाले थे, परंतु परस्परविरोधी विचारधारा के बावजूद भी अटल जी में संबंधों को निभाने की अद्भुत कला थी।
श्री मिश्र ने कहा कि अटल जी जब देश के प्रधानमंत्री बने तब भी वह मजदूर मसीहा स्व. टी.एन. बाजपेई को नहीं भूले तथा प्रधानमंत्री के रूप में उन्होंने 25 नवम्बर, 1999 को पहला काम यह किया कि लखनऊ आकर उन्होंने आलमबाग थाना चौराहा पर स्थापित श्रमिक नेता स्व. टी. एन. बाजपेई जी की आदमकद प्रतिमा का अपने कर-कमलों से अनावरण किया तथा उस अवसर पर आयोजित विशाल रेलकर्मियों की सभा को संबोधित किया।
अंत मे श्री मिश्र ने भावुक होकर कहा कि सचमुच अटल जी सहज व्यक्तित्व के स्वामी थे। अब सिर्फ स्मृतियां ही शेष है।