आल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन की वर्किंग कमेटी की बैठक में ट्रेनों का संचालन प्राईवेट पार्टनर को देने और उत्पादन इकाइयों के निगमीकरण की साजिश के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की रणनीति तैयार की गई। बैठक में तय हुआ की एक्ट अप्रेंटिस को नौकरी दिए जाने का मामला भी गंभीर है और इस मुद्दे पर भी एक मुकम्मल संघर्ष जरूरी है। आंदोलन की रणनीति तैयार करने के लिए एक छह सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया गया। वर्किंग कमेटी की मीटिंग में महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहाकि जब लाँक डाउन में पूरा देश बंद था, उस समय जान की परवाह किए बगैर 10 लाख से अधिक रेलकर्मचारी मालगाड़ी, पार्सल ट्रेन का संचालन कर देश आवश्यक वस्तुओं को देश के कोने कोने में पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे, इतना ही नहीं जब राज्य सरकारे प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने में फेल हो गई, तो रेलकर्मचारियों ने उन्हें श्रमिक स्पेशल ट्रेन के जरिए घर पहुंचाया, लेकिन सरकार रेलकर्मचारियों को ईनाम देने के बजाए उनके डीए और अन्य एलाउंस को फ्रीज करने के साथ ही ट्रेनों का संचालन प्राईवेट पार्टनर को देने में जुटी रही।
पूरे दिन चली वर्किंग कमेटी की बैठक में अध्यक्ष रखाल दास गुप्ता ने कहाकि चेन्नई अधिवेशन के बाद हम पहली बार वर्चुअल मीटिंग के जरिए आप सभी से मिल रहे हैं, इस दौरान फैडरेशन ने महसूस किया है कि सामान्य दिनों से दोगुना जोश के साथ रेलकर्मचारियों ने कोरोना महामारी जैसे कठिन हालात में काम किया है । इस दौरान हमने माल की ढुलाई सामान्य दिनों की अपेक्षा दोगुनी की और कहीं भी खाद्य सामग्री की कमी नहीं होने दी, लेकिन सरकार की नीयत साफ नहीं है, उसका हर कार्य मजदूर विरोधी है, यही वजह है कि बातचीत में मंत्रालय के अफसर और रेलमंत्री कहते कुछ है, लेकिन करते कुछ और ही हैं। अब समय आ गया है कि हमें अपनी रणनीति पर काम करना चाहिए, ताकि सरकार को जवाब दिया जा सके।
महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने हर मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की और सरकार से विभिन्न मसलों पर हो रही बातचीत के बारे में भी वर्किंग कमेटी को जानकारी दी। महामंत्री ने साफ किया कि बात चीत का रास्ता हम बंद नहीं करना चाहते, ये अपनी जगह चलती रहेगी, लेकिन अब हमें अपनी तैयारी भी कर लेनी चाहिए, क्योंकि सरकार की जो कार्रवाई है वो आँल इंडिया रेलवे मेंस फैडरेशन को कत्तई मंजूर नहीं है। महामंत्री ने कहाकि हम जानते हैं कि आज युवा रेलकर्मी काफी परेशान है, क्योंकि एनपीएस को लेकर हम लड़ाई लड़ रहे थे, इस मामले में कई दौर की बात चीत भी हो चुकी थी, लेकिन कोरोना महामारी के बीच पूरे देश में लाँकडाउन हो गया और पैसेंजर ट्रेनों तक का संचालन ठप हो गया। लाँक डाउन में किसी को समझ में ही नहीं आ रहा था कि करना क्या है, इस बीच आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति बनाए रखने के लिए मालगाड़ियों का संचालन शुरु हुआ, फिर पार्सल ट्रेनें चलने लगीं। इसी बीच प्रवासी मजदूरों की दिक्कत को देखते हुए उन्हें घर पहुंचाने का जिम्मा भी रेलकर्मचारियों ने लिया और श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए देश भर में फंसे मजदूरों को उनके घर पहुंचाया।
रेलकर्मचारी जब देश की सेवा में जुटे थे, उसी वक्त रेलमंत्रालय ने अपनी मजदूर विरोधी नीतियों को आगे बढ़ाते हुए डीए फ्रीज करने का एकतरफा आदेश जारी कर दिया। इसकी देश भर में तीखी प्रतिक्रिया हुई, कई स्तर पर मंत्रालय में बात हुई, फिलहाल ये बातचीत चल रही है। हम डीए की लड़ाई लड़ ही रहे थे कि सरकार ने अपने छिपे एजेंडे पर काम करना शुरु कर दिया और तमाम महत्वपूर्ण रेलमार्ग पर प्रीमियम ट्रेनों का संचालन प्राईवेट पार्टनर को देने का न सिर्फ फैसला कर लिया, बल्कि इस पर काम भी शुरु हो गया। रेलमंत्री समेत तमाम अफसरों से बात हुई तो कहा गया है कि हमारे पास वेतन तक देने को पैसे नहीं है, ऐसे में कुछ ट्रेनों का संचालन प्राईवेट पार्टनर को देने में क्या हर्ज है। ये भी कहा गया कि जो ट्रेने अभी चल रही है, वो बंद नहीं होगी, जो कर्मचारी काम कर रहे हैं, उन्हें कोई नुकसान नहीं होने दिया जाएगा। महामंत्री ने एक्ट अप्रेंटिस के मामले में भी विस्तार से चर्चा की और कहाकि ये मुद्दा भी फैडरेशन के लिए काफी महत्वपूर्ण है, रेलमंत्री के साथ ही चेयरमैन रेलवे बोर्ड से कई दौर की बातचीत हो चुकी है। इस मामले में जब सरकार की नीति बन गई है कि नियोक्ता अप्रेंटिस के सवाल पर नीति तैयार करे, ऐसे में कोशिश हो रही है कि अप्रेंटिस के मसले पर बोर्ड कुछ स्पष्ट नीति बनाए, जिससे अप्रेंटिस की भर्ती हो सके। महामंत्री कहाकि अगर इस मामले में सरकार टाल मटोल किया तो हम इस मुद्दे पर भी निर्णायक और मुकम्मल लड़ाई के लिए तैयार हैं।
इस बीच वर्कमैन संगोष्ठी में स्वयं रेलमंत्री मौजूद थे, आप सब ने देखा कि फैडरेशन ने अपना नजरिया साफ कर दिया है कि हमें ट्रेनों का संचालन प्राईवेट पार्टनर को दिया जाना मंजूर नहीं है। महामंत्री ने कहाकि जब फैडरेशन रेलकर्मचारियों का प्रतिनिधित्व करती है फिर सीधे रेलकर्मचारियों से सुझाव आमंत्रित करना भी बोर्ड का गलत फैसला है। महामंत्री ने सभी नेताओं से कहाकि वो शाखा स्तर तक इस बात को पहुंचाएं और सरकार के छिपे एजेंडे की उन्हें जानकारी दें। हर स्तर पर ट्रेन का संचालन प्राईवेट पार्टनर को दिए जाने का सख्त विरोध होना ही चाहिए। महामंत्री ने कहाकि कोरोना के दौरान तमाम तरह की समस्याएं रेलकर्मचारियों के सामने आई, फैडरेशन की कोशिश रही है कि किसी को मुश्किल न हो, तमाम मसलों का समाधान कराया गया। कोरोना से दिल्ली की हालत किसी से छिपी नहीं है, फिर भी फैडरेशन का दफ्तर लगातार खुला ।
महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहाकि इस समय न सिर्फ रेल बल्कि रेल कर्मचारियों के सामने कठिन चुनौती है और हमें इसका डटकर मुकाबला करना ही होगा। वर्किग कमेटी की सहमति से एक छह सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया, जो आंदोलन की रणनीति पर विचार करते हुए पूरा कार्यक्रम तैयार करेगी। इस कमेटी का नेतृत्व एनडब्ल्यूआरएमयू के महामंत्री मुकेश माथुर करेंगे, इसके अलावा वेणु पी नायर, एस के त्यागी, आर सी शर्मा, अमित घोष और ईश्वर लाल टीम के सदस्य होंगे। महामंत्री ने कहाकि 14 सितंबर से 19 सितंबर तक एक सशक्त विरोध सप्ताह का आयोजन किया जाएगा, इसमें 19 सितंबर शहीदी दिवस के दिन देश भर में विशाल कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा, जिसमें कोशिश होगी कि आम जनता की भी भागेदारी सुनिश्चित की जाए। इसके अलावा ये भी तय हुआ कि दिल्ली में जंतर मंतर पर एक विशाल विरोध प्रदर्शन किया जाए, इसकी तारीख बाद में तय की जाएगी।
आखिर में महामंत्री ने जानकारी दी कि 50 फीसदी पोस्ट को खत्म करने के मामले में बोर्ड से बात हो गई है, कोई पद समाप्त नहीं किया जाएगा। खाली पदों को सेफ्टी कटेगरी में ट्रांसफर कर दिया जाएगा। इस पर कोई भी फैसला बिना जोन और डिवीजन के यूनियन नेताओं से बात किए बगैर नहीं होगा। वर्किंग कमेटी की बैठक में फैडरेशन के कोषाध्यक्ष जे आर भोसले ने लेखाजोखा प्रस्तुत किया, जिसे वर्किंग कमेटी ने स्वीकार कर लिया। श्री भोसले ने कर्मचारी हितों को लेकर किए जा रहे कार्यों को लेकर महामंत्री की प्रशंसा की और कहाकि इस कठिन दौर में भी उन्होंने काफी मेहनत की है।
फैडेरशन के वर्किंग प्रेसीडेंट एन कन्हैंया ने आज सभी मसलों पर काफी विस्तार से बात की। उन्होंने बताया कि जिस समय सभी लोग घर बैठे है, उस दौरान महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा किस तरह दिल्ली में बैठकर हमारी लड़ाई लड़ते रहे। उन्होंने कहाकि तारीखवार चर्चा करते हुए कहाकि कर्मचारी हितों को लेकर लगभग हर रोज कोई न कोई आदेश बोर्ड से निकलता रहा। ये इतना आसान नहीं होता है, इसके लिए ईमानदारी से प्रयास की जरूरत होती है, जिसके लिए महामंत्री बधाई के पात्र हैं। कोरोना के दौर में जब पूरा देश घर बैठा रहा, उस दौरान फैडरेशन का पूरा आफिस बिना नागा के चलता रहा और महामंत्री जी रोजाना आफिस में मौजूद रहे। श्री कन्हैया ने कोरोना के बारे में भी चर्चा की और कहाकि अभी तक इसकी कोई दवा उपलब्ध नही है, ऐसे में सुरक्षा और सतर्कता से ही इससे बचा जा सकता है। उन्होने कई टिप्स भी दिए।
इस वर्किग कमेटी को मुख्यरूप से महामंत्री के एल गुप्ता, ए एम डिक्रूज, रवि जायसवाल, बसंत चतुर्वेदी, दामोदर राव, एल एन पाठक, प्रदीप शर्मा, ईश्वर लाल, आशीष विस्वास,चंपा वर्मा, जया अग्रवाल, प्रीति सिंह, आर के पांडेय, अरुण गुप्ता, सिंकदर खान, पियूष चक्रवर्ती, पाँल जानसन, बीएन शुक्ला, एम मुदस्सिर इमरान, एस बी श्रीवास्तव, ओ पी शर्मा, मनोज परिहार, भूपेन्द्र भटनागर, प्रवीन पाटिल, मलय चंद्र बनर्जी, सुब्रत चतुर्बेदी, राजेश डोगरे, शिशिर मजूमदार, पी मोहन दास, दयानंद राव, सतीश वाजपेयी, राजेन्द्र सिंह समेत तमाम अन्य लोगों ने संबोधित किया।
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