TTEs to man 03 coaches instead of 05 – Board agreed in AIRF’s PNM meeting

नयी दिल्ली। अक्सर सुनने और देखने में आता है कि यात्री अपनी आरएसी टिकट पर बर्थ पाने के लिए घंटों इंतजार करते रहते हैं, लेकिन चल टिकट परीक्षक (टीटीई) कई घंटे बाद कोच में टिकटों की जांच करने आता है। लिहाजा यात्रियों का काफी दूर तक सफर यूं ही कट जाता है। साथ कन्फर्म टिकट वाले यात्री भी अपनी टिकट की जांच कराने के लिए टीटीई का इंतजार करते रहते हैं। इसके पीछे टीटीई की लापरवाही नहीं, बल्कि उनके पास अधिक कोच में टिकट जांच की जिम्मेदारी होती है। लेकिन, एक जुलाई से उन्हें इससे निजात मिलने वाली है। अब एक टीटीई के पास पांच की बजाय तीन कोच में टिकट जांच की जिम्मेदारी होगी।गौरतलब है कि ट्रेनों की निरंतर संख्या बढ़ने और टीटीई की संख्या कम होने से टिकट जांच का बोझ बढ़ता गया। परिणाम यह हुआ कि एक टीटीई को पांच कोच में टिकट जांच की जिम्मेदारी सौंपनी पड़ी है। इस मामले में पाया गया है कि यात्रियों की सुरक्षा, टिकट जांच और टीटीई पर ज्यादा काम का बोझ है। पहले टीटीई को केवल टिकट देखना और उसे चार्ट में टिक करने से ही काम चल जाता था। अब उन्हें टिकट की जांच और यात्री के आईडी की भी जांच करनी पड़ती है। प्रत्येक कोच में कन्फर्म टिकटों की जांच के अलावा आरएसी टिकट के यात्रियों को खाली हुई बर्थ आवंटित करने का भी काम है। एक टीटीई को यदि पांच स्लीपर कोच में 360 बर्थो के टिकट की जांच करनी पड़ती है। इनमें आरएसी टिकट के भी यात्री होते हैं। लिहाजा उन्हें एक से पांचवें कोच तक पहुंचने में घंटों लग जाते हैं और अंतिम कोच तक पहुंचने पर यात्री सो जाता है तो उसे उठाकर उसके टिकट की जांच करनी पड़ती है। ऐसे में रास्ते के स्टेशनों पर ट्रेन में सवार होने वाली की जांच के लिए फिर से पिछले कोचों में जाना पड़ता है। इससे कोच में सवार बिना टिकट और बिना बर्थ के वाले यात्रियों के टिकट की जांच नहीं हो पाती है। इससे रेलवे राजस्व का नुकसान भी होता है।इन तमाम परिस्थितियों के मद्देनजर रेलवे एक जुलाई से एक टीटीई को पांच की बजाय तीन कोच की जिम्मेदारी देने जा रहा है। इसी क्रम में पिछले दिनों में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के रेलवे बोर्ड स्तर हुई भी स्थाथी वार्ता तंत्र (पीएनएम) की बैठक में टिकट कलेक्टर (टीसी) और टीटीई से उनके मूल कार्य के अलावा अन्य कार्यो को कराने पर आपत्ति जताई गई। कामरेड शिव गोपाल मिश्र महामंत्री ए.आई.आर.ऍफ़ ने मुद्दा उठाया कि इससे ट्रेन और टिकट चेकिंग कार्य प्रभावित होता है। उनके मूल कार्य के अलावा उनसे अन्य ड्यूटी कराई जाती है। इससे रेलवे को नुकसान होता है और कम टीटीई पर ज्यादा काम का बोझ होता है। इस परिप्रेक्ष्य में रेलवे बोर्ड के उच्च प्रबंधन ने आश्वासन दिया कि रेलवे की कोशिश होगी टीसी और टीटीई को उनके मूल कार्य में ही लगाया जाए। इस सिलसिले में यह भी माना जा रहा है कि भविष्य में अन्य कार्यों से मुक्त होने वाले टीसी और टीटीई ट्रेन और टिकट की जांच में लगेंगे। इससे रेलवे को राजस्व वसूली में मदद और यात्रियों को सुविधा मिलेगी।

TTE-fb