नई दिल्ली, 22 सितंबर । आँल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन की वर्किंग कमेटी में मौजूद रेलमजदूर नेताओं ने रेल प्रशासन के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली, ज्यादातर नेताओं ने आरोप लगाया कि रेल के कई बड़े अफसर रेलकर्मचारियों के बीच की राजनीति कर रह उनमें मतभेद पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। नेताओं ने कहाकि हम अफसरों की साजिश को कामयाब नहीं होने देगें । नाराज रेलकर्मी नेताओं ने बैठक में रेल प्रशासन के खिलाफ बड़ा फैसला लेते हुए तय किया कि रनिंग एलाउंस के लिए सरकार को नोटिस देकर उन्हें 45 दिन का समय दिया जाएगा, इस बीच अगर हमारी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो कर्मचारी ” वर्क टू रुल ” पर चले जाएंगे।
दिल्ली में टीएन वाजपेयी सभागार में आँल इंडिया रेलवे मैन्स फेडरेशन वर्किंग कमेटी की शुरुआत से ही नेताओं ने रेलमंत्रालय के अफसरों को निशाने पर लिया। सभी का कहना था कि कुछ समय से देखा जा रहा है कि न सिर्फ रेलवे बोर्ड के अफसर बल्कि कई जोन के महाप्रबंधक तक कर्मचारियों के बीच मतभेद कर आपस में लड़ाने की साजिश कर रहे हैं। नेताओं ने अफसरों को आगाह किया कि अभी भी समय है वो संभल जाएं, वरना ऐसे अफसरों का देश भर में विरोध किया जाएगा।
बैठक में इस बात पर भी नाराजगी जाहिर की गई कि बोर्ड से पास प्रस्तावों को भी सरकार जानबूझ कर रोक रही है, इससे रेलकर्मचारियों के साथ न्याय नहीं हो पा रहा है। रनिंग एलाउंस के मुद्दे पर सबसे ज्यादा नाराजगी देखी गई। चूंकि रनिंग एलाउंस को लेकर बोर्ड के अधिकारियों के साथ एआईआरएफ नेताओं की कई दौर की बैठक के बाद इसके रेट पर सहमति तक बन गई है। इतना ही नहीं बोर्ड के अफसरों ने इस फाइल को क्लीयर कर रेलमंत्री के यहां भेजा है। अब महीनों से रेलमंत्री ये फाइल रोके हुए हैं। इस बात पर सबसे अधिक गुस्सा देखा गया । इस मसले को लेकर कई तरह के सुझाव दिए गए, कुछ ने सीधे रेल का चक्का जाम करने की बात की, किसी ने कहाकि नार्दन रेलवे मैन्स यूनियन के दो घंटे के चक्का जाम के प्रस्ताव को स्वीकार किया जाए, बहरहाल तमाम विचार विमर्श के बाद यूनियन नेताओं ने सख्त फैसला लिया और कहाकि मंत्रालय को नोटिस देकर उन्हें 45 दिन का समय दिया जाए और इसके बाद भी अगर रनिंग एलाउंस का मुद्दा हल नहीं होता है तो देश भर में रेल कर्मचारी ” वर्क टू रूल ” पर चले जाएंगे।
वर्किंग कमेटी में कई नेताओं ने अफसरों के साथ ही रेलमंत्री को भी सीधे निशाने पर लिया और कहाकि ये सही है कि हम किसी राजनीतिक दल का विरोध और समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन जब सरकार हमारी मांगों को पूरा करने के बीच रूकावट पैदा कर रही है तो हमें इस पर भी सोचना होगा। बैठक में कहा गया कि रनिंग एलाउंस के मसले पर बोर्ड ने फेडरेशन के साथ बैठक रेट तय कर फाइल रेलमंत्री के यहां अनुमोदन के लिए भेज दिया, फिर इस फाइल को रोके रहने का क्या मतलब है ? उन फैसलों को रेलमंत्री कैसे रोक सकते हैं जिस पर रेलवे बोर्ड ने मुहर लगा दी है, लेकिन कई मामले में ऐसा हो रहा है। रनिंग एलाउंस ही नहीं ट्रैकमैन के हार्ड वर्क एलाउंस, फार्मूला 10 20 20 50 समेत कई मसले रेलमंत्री के स्तर पर रुके हुए हैं। ऐसे में अब समय आ गया है कि आम चुनाव को देखते हुए राजनीतिक फैसला भी लेना चाहिए।
सुबह 10 बजे से देर शाम तक चली इस बैठक में तमाम नेताओं की बात सुनने के बाद तय किया गया कि “वर्क टू रूल” का नोटिस रेलवे बोर्ड के चेयरमैन के साथ ही उसी दिन सभी महाप्रबंधकों को भी इस आशय का नोटिस दिया जाए। इस दौरान जोन मुख्यालय पर ऐतिहासिक प्रदर्शन का भी निर्णय लिया गया है। ज्यादातर नेताओं का कहना था कि हमारी मांगे इसलिए भी लटकी हुई हैं क्योंकि हमने संघर्ष का रास्ता छोड दिया है । नेताओं ने कहाकि याद रखना चाहिए कि हमने अभी तक जो कुछ भी हासिल किया है, उसके पीछे हमारा लंबा संघर्ष रहा है। बिना लड़ाई के हम कुछ भी हासिल नहीं कर सकते । नेताओं ने कहाकि हमने लंबे संघर्ष के बाद लारजेस हासिल किया, लेकिन अब ये सुविधा विवाद में हैं।
महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने यूनियन नेताओं की बातों का समर्थन करते हुए कहाकि अब हमें संघर्ष का रास्ता अपनाना ही होगा। “वर्क टू रूल” के लिए लोगों के बीच माहौल बनाने की भी बात हुई। महामंत्री श्री मिश्रा ने रेफरेंडम की चर्चा करते हुए कहाकि दिसंबर में चुनाव संभव है, लिहाजा मंडल स्तर तक तैयारियों की समीक्षा की जानी चाहिए। श्री मिश्रा ने लोगों को निजीकरण की चुनौतियों से भी आगाह किया और कहाकि हमें रेल को बचाने की भी लड़ाई पूरी मजबूती से लड़नी होगी,क्योंकि सरकार की नीति न सिर्फ कर्मचारी विरोधी है, बल्कि रेलवे के भी खिलाफ है। सरकार पूरी तरह से रेलवे का निजीकरण करना चाहती है।
एआईआरएफ अध्यक्ष रखालदास गुप्ता ने कहाकि अपने फैडरेशन का संघर्ष एक लंबा इतिहास है, अभी 19 सितंबर को हम सबने शहीदी दिवस मनाकर 1968 के रेल हडताल के शहीदों को याद किया है। उन्होंने कहाकि चुनाव करीब है, लिहाजा हमारे बारे में तरह तरह के अनर्गल प्रचार किए जाएंगे। इसलिए हमारे साथियों को बहुत ही सावधान रहने की जरूरत है। आज महत्वपूर्ण वर्किंग कमेटी को मुख्य रूप से जे आर भोसले, एस के त्यागी, शंकरराव, आर डी यादव, बसंत चतुर्वेदी, एस एन श्रीवास्तव, जेएन शुक्ला, वेणु पी नायर,एस के सिन्हा समेत कई और लोगों ने संबोधित किया।