रेलकर्मियों को बोनस, स्व. जेपी चौबे की देन : शिवगोपाल मिश्रा
भारतीय रेल के निजीकरण की कोशिश नहीं होगी कामयाब
नई दिल्ली 3 सितंबर । काँमरेड स्व. जेपी चौबे की वजह से ही आज देश में लाखों रेलकर्मचारी बोनस के हकदार बने हैं । स्व. चौबे की 12 वीं पुण्यतिथि पर उन्हें याद करते हुए आँल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन के महामंत्री काँमरेड शिवगोपाल मिश्रा ने कहाकि तीनों हडताल में नौकरी से निकाले जाने के बाद भी उन्होंने कभी संघर्ष की धार को कमजोर होने नहीं दिया। महामंत्री ने कहाकि भारतीय रेल के सामने एक बार गंभीर चुनौती है, इसके लिए एक बड़े संघर्ष के लिए तैयार रहना है।
एआईआरएफ कार्यालय में कामरेड चौबे की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद करते हुए श्री मिश्रा ने पुरानी बातों को भी याद किया और कहाकि वैसे तो पढ़ाई के दौरान ही मैं श्री चौबे जी के संपर्क में आ गया था, लेकिन नौकरी करने के दौरान उन्हीं की प्रेरणा से मैने यूनियन में कदम आगे बढ़ाया। हुआ ये कि वर्ष 1965 बीएससी करने के लिए जब मैं लखनऊ आया, तो यहां मेरी मुलाकात स्व.चौबे जी से हुई। वो अनुशासन को सर्वोच्च प्राथमिकता देने वाले थे, इतना ही नहीं युवाओं को लेकर वो काफी गंभीर थे। उनका मानना था कि हर संघर्ष में युवाओं की भूमिका महत्वपूर्ण है। रेलवे में नौकरी की तो उनसे और अधिक मुलाकात होने लगी और मैने भी यूनियन में काम शुरू कर दिया। चूंकि मेरे काम की सभी प्रशंसा करते थे, लिहाजा 1976 में ही मै मंडल में पदाधिकारी हो गया, बाद में उनकी ही प्रेरणा से मैं यहां तक पहुंचा।
श्री मिश्रा ने कहाकि रेलवे की 1960,68 और 74 तीनों ही हड़ताल में चौबे जी को नौकरी से हाथ धोना पड़ा, तीनों ही हडताल में काफी समय तो वो जेल में भी रहे, लेकिन कभी कोई उनके हौसले और हिम्मत को नहीं डिगा सका। उनका जितना उत्पीड़न हुआ, उतना ही उनके संघर्ष की धार और तीव्र हुई । आज रेलवे में जो उत्पादकता आधारित बोनस है, वो काँमरेड चौबे जी की ही देन है। इसके लिए काफी लंबे समय तक उन्होंने सघर्ष किया। हालाकि स्व. चौबे जी हडताल को अंतिम हथियार समझते थे, उनका मानना था कि वार्ता के जरिए ही अपनी मांगों को पूरा करा लिया जाए । सच भी यही है कि स्व. चौबे जी के महामंत्री रहने के दौरान कई मांगे तो हडताल की नोटिस दिए जाने से ही पूरी हो गई ।
श्री मिश्रा ने कहाकि फैडरेशन उनके दिखाए रास्ते पर लगातार आगे बढ़ रहा है और उनकी इच्छा के मुताबिक युवाओं और महिलाओं को संगठन और सरकारी वार्ता तंत्र में भी बराबर की भागीदारी दे रहा है। ईश्वर हम सभी को वो ताकत दें,जिससे स्व. जे पी चौबे जी के दिखाए मार्ग पर आगे बढ़ सके । महामंत्री ने कहाकि भारतीय रेल के सामने जिस तरह की चुनौती है, उससे औद्योगिक संबंधों को बनाए रखने में मुश्किल आ रही है, अगर यही हालात रहे तो टकराव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता।
महामंत्री ने कहाकि आप सब जानते हैं कि कोरोना महामारी के बीच साथी रेलकर्मचारियों ने आपने जान की बाजी लगाकर ट्रेनों का संचालन किया, यहां तक की लगभग 150 रेलकर्मियों की कार्य दौरान मौत तक हो गई, इसके बाद भी रेल मंत्रालय को कर्मचारियों पर भरोसा नहीं है, वो ट्रेनों के संचालन के लिए प्राईवेट आँपरेटर की ओर देख रहे हैं। महामंत्री ने साफ किया कि अगर निजीकरण की कोशिश हुई तो रेल का चक्का जाम करने से भी एआईआरएफ पीछे नहीं हटने वाला है।
इस श्रद्दांजलि सभा को केंद्रीय उपाध्यक्ष जोनल महिला चेयरपर्सन प्रवीना सिंह, दिल्ली मंडल मंत्री अनूप शर्मा, लेखा के मंडल मंत्री उपेन्द्र सिंह ने भी संबोधित किया। इस दौरान बड़ी संख्या में रेलकर्मचारी भी मौजूद रहे ।
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