रेलवे बोर्ड में डीसी जेसीएम की महत्वपूर्ण बैठककोरोना : मृतक कर्मियों के परिजनों को मिले 50 लाख एक्सग्रेसिया : शिवगोपाल मिश्रानई दिल्ली 22 जून । डीसी जेसीएम की महत्वपूर्ण बैठक में आज आँल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन ने भारतीय रेलकर्मचारियों को फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स घोषित कर मृतक रेलकर्मियों के परिजनों को 50 लाख रुपये एक्सग्रेसिया का भुगतान करने का मुद्दा उठाया, इसके अलावा एआईआरएफ महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने एक बार फिर दोहराया के रेल अप्रेंटिसों का मामला काफी समय से लंबित है, इस मसले पर जल्द फैसला लेकर सभी अप्रेंटिसों को रेलवे में नौकरी देने के साथ ही मान्यता के चुनाव को बेवजह न टाला जाए और जल्द इसका एलान हो।इस महत्वपूर्ण बैठक में भारतीय रेल प्रशासन की ओर से रेलवे के बोर्ड के सीईओ/चेयरमैन, सभी बोर्ड मेम्बर, एएम एचआर मौजूद थे, जबकि एआईआरएफ अध्यक्ष डा. एन कन्हैया, महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा, कार्यकारी अध्यक्ष जे आर भोसले, जोन के महामंत्री मुकेश गालव, वेणु पी नायर और मुकेश माथुर भी इस अहम बैठक में शामिल रहे। कुछ महामंत्री इस बैठक में वर्चुअल के जरिए भी जुड़े रहे। बैठक के शुरुआत में ही महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहाकि डीसी जेसीएम एक महत्वपूर्ण प्लेटफार्म है, जहां कर्मचारियों की समस्याओं की चर्चा कर उसका हल तलाशा जा सकता है, लेकिन ये बैठक समय से नहीं हो रही है, जो ठीक नहीं है। ये सुनिश्चित किया जाए कि आगे से ये बैठक तय समय पर जरूर हो जाए।महामंत्री ने कहाकि कोरोना महामारी के दौरान हमारे साथी रेलकर्मचारियों ने जान की परवाह किए बगैर ट्रेनों का संचालन किया और आक्सीजन एक्सप्रेस समेत तमाम ट्रेनों को गतिमान बनाए रखा, इस दौरान अब तक 2800 से भी अधिक रेलकर्मचारी अपनी जान गवां चुके है। आज हमारी शहादत की भी अनदेखी की जा रही है, रेलकर्मचारियों को फ्रंट लाइन कोरोना वारियर्स घोषित न किए जाने से वैक्सीनेशन तक में असुविधा हो रही है, इतना ही नहीं काम करते हुए कोरोना से पीडित हुए रेलकर्मियों की मौत हो जाने के बाद भी उनके परिजनों को 50 लाख एक्सग्रेसिया का भुगतान नहीं किया जा रहा है, फैडरेशन इस पर अपनी नाराजगी पहले जता चुका है, ऐसे में बिना किसी देरी के 50 लाख का भुगतान शुरु किया जाना चाहिए। महामंत्री ने कहाकि फ्रंट लाइन स्टाफ में स्टेशन मास्टर, गार्ड, ड्राइवर, टीटीई, ट्रैक मैन, टेक्नीशियन के साथ ही ऐसे सभी रेलकर्मचारियों को शामिल किया जाए जो पब्लिक डिलींग में शामिल हैं।भारतीय रेल के अप्रेंटिस के मामले में फैडरेशन की काफी समय से रेलमंत्री के साथ ही भारतीय रेल प्रशासन से वार्ता हो रही है, इस बात चीत में कई मुद्दों पर सहमति होने के बाद भी आज तक अंतिम फैसला नहीं लिया गया है, युवा अप्रेंटिस कुशल है और वे अपने काम को अच्छी तरह करने में सक्षम है, ऐसे में अब इस मसले पर बिना देरी किए फैसला लिया जाना चाहिए, जिससे युवाओं को इस गंभीर समय में कुछ राहत मिल सके। महामंत्री ने बैठक में यूनियन की मान्यता के चुनाव का मुद्दा भी उठाया और कहाकि नियमानुसार ये चुनाव दो साल पहले हो जाना चाहिए था, लेकिन एक साजिश के तहत इसे टाला जा रहा है।महामंत्री ने कहाकि गुफ्त मतदान की तारीख का शीघ्र ऐलान किया जाए, इतना ही नहीं ये चुनाव पूर्व में घोषित माँडिलिटी के आधार पर हो, अगर में इसमें किसी भी तरह से छेड़छाड़ की कोशिश की गई तो फैडरेशन एक बड़े और निर्याणय आंदोलन के लिए मजबूर होगा। महामंत्री ने कहाकि महंगाई भत्ता को जनवरी 2020 से फ्रीज़ कर दिया गया है, इसका तत्काल भुगतान कराए जाने का आदेश दिया जाए, इसे लेकर कर्मचारियों में काफी आक्रोश है, उन्होने कहाकि जनवरी 20 तथा जून 21 तक 18 महीने के एरियर का भुगतान भी कराया जाए साथ ही साथ एनडीए का भी भुगतान कराए जाए ।महामंत्री ने कहाकि तमाम जानकारी कोरोना के तीसरे चरण की बात कर रहे हैं, यहां तक कहा जा रहा है कि पहले दूसरे की अपेक्षा और खतरनाक साबित हो सकता है, इसे ध्यान में रखते हुए अभी से सुरक्षा और बचाव की तैयारी शुरु की जाए। उन्होने कहाकि आईसोलेशन की काफी समस्या होती रही है, इसलिए रेलकर्मचारियों के लिए अभी से आईसोलेशन वार्ड का पुख्ता प्रबंध किया जाए, ताकि मुश्किल समय में कर्मचारियों को असुविधा न हो।भारतीय रेल के निजीकरण का मुद्दा भी महामंत्री ने जोरशोर से उठाया और कहाकि कोरोना महारी के दौरान हमारे साथी रेलकर्मचारी एक ओर जान की बाजी लगाकर काम कर रहे है, वहीं दूसरी ओर रेलवे को बेचने की भी साजिश की जा रही है, ये फैडरेशन को मंजूर नहीं है। रायबरेली के मार्डर्न कोच फैक्टरी के निगमीकरण के प्रस्ताव को तत्काल रोका जाना चाहिए, इसी तरह भारतीय रेल के सभी पांच प्रिटिंग प्रेस को बंद किए जाने का फैसला भी कर्मचारी हित में नहीं है, इसे भी रोका जाना चाहिए।