NRMU दिल्ली मंडल जन-जागरण में पहुंचे महामंत्री
सरकारी क्षेत्र को खत्म करना चाहती है सरकार : शिवगोपाल मिश्रा
नई दिल्ली, 3 जून । नार्दर्न रेलवे मेन्स यूनियन दिल्ली मंडल में जन जागरण अभियान के तीसरे दिन खुद महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा कर्मचारियों के बीच पहुंचे और उन्हें साफ किया कि सरकार हर हाल में सरकारी क्षेत्र का निजीकरण करना चाहती है, लेकिन एआईआरएफ ने पहले भी रेल को निजीकरण से बचाया है , फिर बचाएंगे। इतना ही नहीं सरकार की कोशिश ये भी है कि किसी तरह रेल कर्मचारियों की संख्या 13.26 लाख से कम करके आठ लाख पर समेट दिया जाए, अगर हमारा आंदोलन कमजोर पड़ा तो कितने कर्मचारियों को मजबूर होकर घर बैठ जाना होगा।
एनआरएमयू के टीएन वाजपेयी सभागार में जनजागरण अभियान के तीसरे दिन लगभग सभी विभागों से दो तीन कर्मचारियों को बुलाया गया था। सभागार में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए घंटे भर की मीटिंग कर जन जागरण के इस अभियान को आगे बढ़ाया गया । इस मीटिंग में महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने दोहराया कि अगर सरकार को बैकफुट पर लाना है तो हमें हर हाल में नीचले स्तर पर गर्मी पैदा करनी ही होगी। हमें लोगों को समझाना होगा कि आखिर सरकार की मंशा क्या है ? सरकारी क्षेत्र को लेकर सरकार की सोच क्या है ? आखिर सरकार भारतीय रेल का निजीकरण क्यों चाहती है ? दरअसल सरकार की कोशिश है कि किसी तरह भारतीय रेल में सबसे पहले कर्मचारियों की संख्या को कम किया जाए, इसीलिए मल्टी स्कीलिंग और मर्जर आँफ कैडर का एक बार फिर शिगूफा छेड़ा गया है ।
महामंत्री ने दोहराया कि भारतीय रेल के कुछ कर्मचारियों में मल्टी स्कीलिंग और मर्जर आँफ कैडर को लेकर भारी गलतफहमी है, यहां तक कि अफवाह फैलाई जा रही है कि इससे निचले स्तर के कर्मचारियों को पदोन्नत के अवसर मिलेंगे। महामंत्री ने रेलकर्मियों को सावधान करते हुए कहाकि ये सब कर्मचारियों में फूट डालकर एक बड़े आंदोलन को कमजोर करने की साजिश है। सच्चाई ये है कि इससे रेल कर्मचारियों का कोई भला होने वाला नहीं है। अगर ऐसा कुछ होता तो फैडरेशन इसका विरोध क्यों करती ? महामंत्री ने कहाकि सच ये है कि अगर मल्टी स्कीलिंग और कैडर आँफ मर्जर को लागू किया गया तो इससे एक – एक कर्मचारी पर तीन चार आदमी के काम का बोझ होगा और उससे कई तरह के काम लिए जा सकेंगे, इतना ही नहीं कैडर आँफ मर्जर के जरिए बड़ी संख्या में पदो को खत्म करने का भी रास्ता साफ हो जाएगा। महामंत्री ने कहाकि वैसे भी सरकार की कोशिश है कि भारतीय रेल में कर्मचारियों की संख्या 13 लाख से कम करके इसे किसी भी तरह आठ लाख पर लाया जाए । महामंत्री ने ट्रैक मैन्टेंनर साथियों को फिर आगाह किया कि किसी तरह के बहकावे में आने की जरूरत नहीं है।
महामंत्री ने सरकार की मंशा पर सवाल खडे किए और कहाकि एक ओर जब भारतीय रेल के कर्मचारी लाँकडाउन में मालगाडियों और पार्सल ट्रेनों के जरिए देश में एक कोने से दूसरे कोने तक आवश्यक उपभोक्ता वस्तुओं की आपूर्ति में लगे हुए थे, इतना ही नहीं श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के जरिए प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुंचाने का साहसिक काम कर रहे थे, उसी दौरान एक मनमाना आदेश जारी कर केंद्रीय कर्मचारियों के डीए को फ्रीज कर दिया गया। महामंत्री ने सवाल उठाया कि रेल के कर्मचारियों ने जब बिना मांगे ही पीएम केयर फंड में 151 करोड़ रुपये का योगदान दिया और अगर सरकार कहती तो हम और भी पैसे देने से पीछे हटने वाले भी नहीं थे, फिर डीए फ्रीज क्यों किया गया ? एनपीएस को खत्म कर पुरानी पेंशन को बहाल करने के साथ ही भारतीय रेल को निजीकरण से बचाने की लड़ाई हम पहले से लड़ते आ रहे है, उस पर कोई फैसला करने के बजाए हमें और उकसाने की कार्रवाई की गई, जो हमें कत्तई मंजूर नहीं है। आँल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन की स्टैंडिंग कमेटी में फैसला किया गया है कि हम पहले तो एक जून से छह जून तक देश भर में कर्मचारियों के बीच जन जागरण का काम करेंगे, उसके बाद आठ जून को राष्ट्रव्यापी काला दिवस मनाएंगे। इसके बाद भी अगर सरकार हमारी बातें नहीं सुनती हैं तो आगे की कार्रवाई करेंगे।
महामंत्री ने कहाकि सच कहा जाए तो सिर्फ भारतीय रेल ही नहीं पूरा देश इस समय चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहा है। इस समय सिर्फ केंद्रीय और राज्य कर्मचारियों को ही नहीं एक एक आदमी को सरकार की कार्रवाई पर नजर रखनी होगी। जो सामने से दिखाई दे रहा है उससे तो यही समझ में आ रहा है कि सरकारी क्षेत्र को पूरी तरह खत्म ही करना चाहती है मौजूदा सरकार । इसे रोकाना है तो हमें एक बड़े संघर्ष के लिए तैयार रहना होगा।
जन जागरण अभियान को संबोधित करते हुए दिल्ली के मंडल मंत्री अनूप शर्मा ने दोहराया कि वैसे ही हम 12 महीने काम करते हैं, तो 10 महीने का वेतन मिलता है, क्योंकि दो महीने का वेतन इनकम टैक्स कट जाता है, अब डीए फ्रीज करने से दो महीने का वेतन और कम हो जाएगा। मंडल मंत्री ने कहाकि वैसे तो लाँकडाउन के दौरान सरकारी दफ्तर खुले हों या न खुले हों, लेकिन एआईआरएफ का दफ्तर रोज खुला और महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा कोई ऐसा दिन नहीं रहा कि वो दफ्तर न आए हों। उन्होंने कहाकि कर्मचारियों की ऐसी चिंता करने वाली लीडरशिप के रहते किसी कर्मचारी का कुछ भी बिगड़ने वाला नहीं है, लेकिन हमें जमीन खुद तैयार करनी होगी। जन जागरण मे शामिल लोगों का मंडल अध्यक्ष राजेन्द्र भारद्वाज ने आभार व्यक्त किया।