लखनऊ, 12 जनवरी । युवा रेलकर्मियों ने अगर भारतीय रेल को बचाने का संकल्प ले लिया तो कोई ताकत इस रेल को बेचने में कामयाब नहीं होगी। आँल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहाकि रेल को बचाने के लिए हमें जनजागरण कर जनआँदोलन बनाना होगा, तभी हम इस सरकार का पूरी ताकत से मुकाबला कर पाएंगे। एआईआरएफ महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा आज लखनऊ में कारखाना मंडल, लखनऊ मंडल, ब्रिज मंडल और लेखा मंडल के संयुक्त तत्वावधान में सवारी डिब्बा कारखाना परिसर में आयोजित युवा पर्व समारोह को संबोधित कर रहे थे। महामंत्री ने कहाकि इस समय रेल को बचाने को बचाना हम सब की प्राथमिकता में शामिल होना चाहिए, क्योंकि पुरानी पेंशन की लड़ाई और यूनियन की मान्यता का चुनाव तभी कामयाब होगा, जब हमारी रेल बची रहेगी। हम चुनाव जीत जाएं, पुरानी पेंशन बहाली की लड़ाई जीत लें, लेकिन रेल को बचाने की लड़ाई हार गए तो दोनों जीत बेमानी साबित होगी। इसलिए आज स्वामी विवेकानंद की जयंती पर युवाओं को संकल्प लेना होगा कि रेल को बचाने के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार रहेंगे और जीत हासिल करने तक संघर्ष करेंगे।महामंत्री ने कहाकि वैसे तो रेल को बेचने की साजिश पहले भी होती रही है, लेकिन इस बार सरकार कुछ ज्यादा ही तेजी में है। हालाकि सरकार ने बड़े धूमधाम से प्राईवेट पार्टनर के जरिए तेजस को चलाया पर सफर मंहगा होने की वजह से ये ट्रेन बंद हो गई।

अब एक बार फिर 109 रुट पर 150 ट्रेन चलाने की कोशिश हो रही है, सरकार इसमें भी कामयाब नहीं होगी। महामंत्री ने कहाकि सरकार हमेंशा वर्ल्ड क्लास ट्रेन संचालन की बात करती है, लेकिन दुनिया से सबक नहीं लेती। महामंत्री ने कहाकि जिस किसी भी देश में रेलवे का निजीकरण हुआ, वहां रेलवे का बेड़ा गर्क हो गया और निजीकरण से दोबारा रेलवे का सरकारीकरण किया जा रहा है, लेकिन केंद्र की सरकार इससे सबक लेने को तैयार नहीं है।महामंत्री ने कहाकि सरकार मनमानी पर उतारू हो तो ऐसे में हमारे सामने संघर्ष के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता है। महामंत्री ने कहाकि जो हालात है, इसमें हम सभी को मिलकर एक बड़े संघर्ष की ओर आगे बढ़ना होगा। महामंत्री ने कहाकि जब लक्ष्य बड़ा हो तो सभी को साथ लेकर संघर्ष की रणनीति तैयार करनी होगी, इसीलिए राष्ट्रीय स्तर पर एनसीसी आरएस का गठन किया गया है। आप को याद होगा कि भारतीय रेल मे 1974 की हड़ताल भी एनसीसी आरएस के नेतृत्व में किया गया था, जिसने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी को कदम पीछे खींचने पर मजबूर कर दिया था।महामंत्री ने कहाकि आज सरकार की हालत ये है कि जिसके हिल के लिए कानून बनाती है, उनसे बात तक नहीं करती, वो बात पूंजीपतियों से करती है।

किसानों के लिए कानून बनाया गया, किसानों की राय नहीं ली गई, आज किसान इस ठंड में दिल्ली की सड़कों पर हैं। दावा किया जा रहा है कि श्रम कानूनों में संशोधन मजदूर हितों को ध्यान में रखते हुए किया गया है, लेकिन मजदूर संगठनों से बात तक नहीं की गई। कानून लागू हुआ तो आने वाले समय में यूनियन बनाना ही मुश्किल हो जाएगा। महामंत्री ने कहाकि 30 फीसदी वोट पर सरकार बन जाती है, 26 प्रतिशत वोट पर सांसद चुन लिए जाते हैं और वो मंत्री तक बन जाते है, लेकिन यूनियन की मान्यता के लिए मस्टररोल का 51 फीसदी वोट का प्रावधान किया जा रहा है। ये कानून एआईआरएफ को कत्तई मंजूर नहीं है। इसका विरोध किया जा रहा है।कोरोना महामारी को सरकार ने अवसर में बदल दिया है, आज बड़ी संख्या में ट्रेनों का संचालन बंद कर दिया गया है। महामंत्री ने सरकार की नीयत पर सवाल उठाया और कहाकि स्पेशल ट्रेन के नाम पर यात्रियों को लूटा जा रहा है,उन्होंने कहाकि अगर ट्रेन अपने मूल ट्रेन नंबर से चलेगी तो कोरोना का खतरा रहेगा, लेकिन ट्रेन नंबर के आगे शून्य लगा देने से ट्रेन कोरोना फ्री हो जाती है। ये सब हमें जनजागरण के दौरान जनता को समझाना होगा, हमें बताना होगा कि किस तरह सरकार रेलयात्रियों के साथ छल कर रही है।महामंत्री ने कहाकि युवाओं के साथ ही महिला रेलकर्मियों को संगठित करना भी जरूरी है।

आज भारतीय रेल में बड़ी संख्या में महिला रेलकर्मी है, ऐसे में अगर रेलवे का निजीकरण हुआ तो सबसे पहले हमला महिलाओं पर ही होगा। महिलाओं को इस चुनौती को स्वीकार करना होगा और संघर्ष में आगे रहना होगा, तभी रेल को बचाने की मुहिम को धारदार बनाया जा सकेगा। महामंत्री ने दोहराया कि मार्च में पुरानी पेंशन की बहाली के लिए संसद का घेराव किया जाएगा, अगर सरकार ने हमारी मांगे नहीं मानी तो अनिश्चितकालीन हड़ताल का ऐलान किया जाएगा।इस कार्यक्रम को मुख्यरूप से मंडल मंत्री आर के पांडेय, अरुण गोपाल मिश्रा, उपेन्द्र सिंह, केंद्रीय उपाध्यक्ष एस यू शाह, केंद्रीय कोषाध्यक्ष मनोज श्रीवास्तव ने संबोधित किया। इसके अलावा मंडलीय युवा संयोजक सुधीर तिवारी, इमरान खान, यदुवीर, रविन्द्र पाल,ओ पी चौबे, रीना तिवारी, दीपक, राकेश समेत तमाम अन्य लोगों ने भी अपने विचार रखे।