ऑल इंडिया रेलवे मेन्स फेडरेशन का तीन दिवसीय वार्षिक अधिवेशन ( वर्चुअल ) कल 28 जुलाई से शुरू हो रहा है ! ये अधिवेशन ऐसे समय मे हो रहा है जबकि भारतीय रेल अपनी स्थापना के सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है ! ऐसा नही है कि मुश्किल में सिर्फ भारतीय रेल ही है , बल्कि सच्चाई ये है रेल कर्मचारियों के सामने तो और कठिन चुनोती है ! ऐसे में इस अधिवेशन के दौरान तमाम मसलो पर विस्तार से चर्चा करने के साथ ही कुछ अहम प्रस्ताव भी पास किए जाएंगे !AIRF महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहाकि आज सरकार हर हाल में भारतीय रेल का निजीकरण और उत्पादन इकाइयों का निगमीकरण करना चाहती है , लेकिन वो ऐसा क्यों करना चाहते है , इसका कोई ठोस जवाब सरकार के पास नही है ! हैरानी तब होती है जब देखता हूं कि जिस काम के लिए रेलकर्मी है और वे बेहतर तरीके से अपना काम कर भी रहे है, फिर भी वो काम ऑउटसोर्स किया जा रहा है ! एक साजिश के तहत अच्छे आमदनी वाले रूट पर ड़ेढ सौ से ज्यादा ट्रेनों का ऑपरेशन प्राइवेट पार्टनर को देने की कोशिश की जा रही है !सवाल ये है कि मुश्किल दौर में भी जान की बाजी लगाकर साथी रेलकर्मी जब अच्छी तरह ट्रेनों का संचालन कर रहे है फिर निजी ऑपरेटर किसका खजाना भरने का रहे है ? कोरोना के दौरान 3500 से ज्यादा रेलकर्मी शहीद हो गए, लेकिन ट्रेनों का संचालन जारी रहा ! जब राज्य सरकारों ने प्रवासी मजदूरों को उनके घर पहुचाने में हाथ खड़े कर दिए तो ये काम रेलकर्मियों ने किया और श्रमिक स्पेशल ट्रेन के जरिए 63 लाख श्रमिकों को उनके घर पहुचाया ! जब दूसरे चरण में देश भर में आक्सीजन की कमी हुई तो फिर ये जिम्मेदारी रेलकर्मियों पर आई और इसे आप साथियों ने बख़ूबी निभाया भी ! इसके बाद भी आज रेलकर्मियों के प्रति सरकार का रवैया नकारात्मक ही है !महामंत्री ने कहाकि जो हालात है वो बेहतर नही है , चाहे एक्ट अप्रेंटिस की बात हो, पुरानी पेशन की बहाली की बात हो , लार्सजेस का मसला हो , ग्रेड पे 1800 और 4600 की बात हो , रिक्त पदों को भरने सहित कई मुद्दों पर लगातार बात हो रही है , बात चीत भी सार्थक होती है लेकिन नतीजा सामने नही आ रहा है !साथियों ! तीन दिन के इस अधिवेशन में सभी विषयों पर विस्तार से न सिर्फ बात होगी , बल्कि कुछ महत्वपूर्ण प्रस्ताव लेकर सरकार को घेरने की भी कोशिश करेंगे !