ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन की आमसभा, आपस में नहीं सरकार से लड़ने की तैयारी करें : शिवगोपाल मिश्रा
मुगलसराय 8 नवंबर। आँल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन के महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहा कि आज भारतीय जो हालात है, उससे इतना तो तय है कि सरकार से दो दो हाथ करना ही होगा, क्योंकि सरकार निजीकरण और निगमीकरण चाहती है और हम किसी भी कीमत पर निजीकरण और निगमीकरण नहीं होने देंगे, इसलिए आपस में नहीं बल्कि सरकार से लड़ने की तैयारी करें। महामंत्री ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन की आमसभा को संबोधित कर रहे थे। मुगलसराय रेलवे स्टेशन के सामने हुई ईसीआरकेयू की आमसभा में बड़ी संख्या रेलकर्मचारी शामिल हुए। रेल कर्मचारियों से महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा ने कहाकि सरकार ने जो हालात बना रखा है उससे भारतीय रेल तो खतरे में है ही, कर्मचारी भी सुरक्षित नहीं है । सरकार के 100 दिन के कार्ययोजना से समझ ही लेना चाहिए कि सरकार का इरादा क्या है ? सरकार न सिर्फ उत्पादन इकाइयों और कारखानों का निगमीकरण चाहती है, बल्कि वो भारतीय रेल का भी हर हाल में निजीकरण करना चाहती है। आँल इंडिया रेलवे मैन्स फैडरेशन के इसके सख्त खिलाफ है। महामंत्री ने कहाकि रेलमंत्री और रेलवे बोर्ड को साफ कर दिया गया है कि हम कल भी सरकारी कर्मचारी थे, आज भी है और कल भी सरकारी कर्मचारी ही रहेंगे।
महामंत्री ने कहाकि अब उनकी कार्ययोजना का असर भी दिखाई देने लगा है। सरकार ने फिलहाल दो तेजस ट्रेन का संचालन शुरु किया है, लेकिन उन्होंने ऐसी ही 150 ट्रेनों का ऐलान भी किया है। इसके अलावा प्लेटफार्मों को भी वो निजीक्षेत्र में देने की बात कर रहे हैं। सवाल ये है कि इंजन और कोच बनाएं रेलकर्मचारी, इस ट्रेन पर ड्राईवर रेल का, गार्ड रेल का, मेन्टीनेंस रेल का , पटरी रेल की, जब सब कुछ रेल का है, तो इसका मुनाफा प्राईवेट हांथों में क्यों जाना चाहिए ? सरकार की इस दोषपूर्ण नीति को हम कामयाब नहीं होने देंगे, भले ही इसके लिए हमें कोई भी कीमत चुकानी पड़े।
आज उत्पादन इकाइयों और कारखानों का निगमीकरण करने की साजिश हो रही है। महामंत्री ने कहाकि ऐसा करने की कोई वजह होनी चाहिए। भारतीय रेल की उत्पादन इकाइयों ने काफी कम कीमत पर इंजन तैयार किया, आधे से कम कीमत पर कोच तैयार हो रहे हैं। ये हालात तब है जब मैनपावर कम है। उत्पादन इकाई अपने लक्ष्य के मुकाबले अधिक इंजन और बोगी तैयार कर रही है। रेल कर्मचारियों को जिस काम के लिए ईनाम मिलना चाहिए, उस काम के लिए यहां उन्हें सजा मिल रही है। महामंत्री ने कहाकि एआईआरएफ ने साफ कर दिया है कि निजीकरण और निगमीकरण रेल कर्मचारियों को कत्तई स्वीकार नहीं है, अगर ये प्रयास जारी रहा तो भारतीय रेल का चक्का जाम करने को मजबूर होंगे।
महामंत्री ने कहाकि ऐसा नहीं है कि सरकार हमारी ताकत को नहीं समझ रही है। हमारी ताकत का ही नतीजा है कि वो यूनियन के मान्यता के लिए होने वाले गुप्त मतदान की हिम्मत नहीं जुटा पा रही है। सरकार को पता है कि चुनाव हुआ तो आँल इंडिया रेलवे मेन्स फैडरेशन फिर मजूबत होकर सामने आएगी, जिस यूनियन को वो चाहते हैं, उसका कोई नाम लेने वाला भी नहीं होगा। डर इस कदर है कि रेलवे बोर्ड चुनाव कराने तक की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा है। चूंकि एआईआरएफ रेलकर्मचारियों के बीच में रहा है और सबके साथ मिलकर उनकी मुश्किलों से जूझने वाला संगठन है, फिर उसे भला कौन पीछे कर सकता है ?
एनई रेलवे मजदूर यूनियन के महामंत्री के एल गुप्ता ने कहाकि आज तक रेल कर्मचारियों ने जो भी सुविधा हासिल की है, वो सब सघर्ष से मिला है। रेल कर्मचारी संघर्ष में यकीन रखते हैं, हमें पता है कि ताकत के बल पर ही न्याय मिल सकता है। एआईआरएफ कर्मचारी हितों के साथ कभी समझौता करने वाला नहीं है, सरकार अच्छा काम करेगी, हम उसके साथ रहेंगे, अगर सरकार कर्मचारियों के खिलाफ काम करेगी तो उसका उसी तरह विरोध भी होगा।
ईस्ट सेंट्रल रेलवे कर्मचारी यूनियन के महामंत्री एस एन पी श्रीवास्तव ने कहाकि पुरानी पेंशन बहाल करने की मांग से फैडरेशन पीछे हटने वाला नहीं है, इस मसले पर भी हमारा संघर्ष जारी रहेगा। श्री श्रीवास्तव ने कहाकि कुछ लोग यूनियन को कमजोर करने की साजिश कर रहे है, ऐसे लोगों से हमें सावधान रहना है, यूनियन एकजुट था और एकजुट रहेगा। उन्होंने कहाकि रेफरेडम भी आने वाला है, हमें एकजुट होकर अपनी ताकत का अहसाल सभी को कराना होगा। इस जनसभा को यूनियन के वर्किंग प्रेसीडेंट बालकराम यादव, अपर महामंत्री डी के पांडेय, विश्वमोहन सिंह समेत तमाम अन्य लोगों ने भी संबोधित किया।
आम सभा के पूर्व एआईआरएफ महामंत्री शिवगोपाल मिश्रा के नेतृत्व में एक प्रतिनिधि मंडल मुगलसराय के मंडल रेल प्रबंधक से मिला। रेल अधिकारियों ने कर्मचारियों के हितों में किए जा रहे कार्यों के बारे में विस्तार से जानकारी दी।
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